Showing posts from October, 2010

चवन्नी के एक सौ दीये.....

ह में नहीं मालूम कि दीपावली क्यों मनाई जाती है। क्या सचमुच कोई राम हुए थे, जिनकी वनवासी पत्नी को किसी रावण ने छल-बल से चुरा लिया था, लंका पर राम की वानर सेना ने चढ़ाई की थी, रावण को मारकर सीता को छुड़ाया गया था और सकुशल अयोध्या लौटने की खुशी में नगर…

दिव्यांशी शर्मा

प्रेम और समर्पण का प्रतीक है करवाचौथ का व्रत

बदलाव हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। हमारे जीवन में सभी तरह के बदलाव देखे जा सकते है। बदली है हमारी परंपरा, बदली है हमारी रीत, बदला है हमारा समाज, बदले है जमाने और बदले है हमारे त्यौहार। कल तक जो पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखा जाता था वह अब फैशन बनन…

दिव्यांशी शर्मा
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जय हो पत्रकार महाराज की

सिरसा आज काफी आगे बढ़ चुका है। खास तौर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में। आज सिरसा में करीबन लोकल समाचारों पत्रों की होड़ ऐसी लग गई है मानों अखबारी क्रांति आ गई हो। अखबारों की संख्या दिन-वो-दिन बढ़ती ही जा रही है। बढ़े भी क्यों न बैठे बिठाए जो खबरें मिल जाती…

दिव्यांशी शर्मा
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मरना है क्या? चल हट! थड्ड्ड्ााााााााााा

रोज रोज की कहानी पर मुझे रोना आने लगा है। सोचता हूं राजनेता क्यों होते है। क्यों ये ही देश पर राज करते है। क्या उन लोगों का उतना ही अधिकार नहीं की वो ठीक से सड़क पर चल सके जिन्होंने इन राजनेताओं को इस राजगद्दी पर बैठाया है। बात हाल ही की है जो मुझे …

दिव्यांशी शर्मा

राम के पड़ोसी है रहिम

आधुनिक से अत्याधुनिक होते इस दौर में भाईयों के बीच जमीन का बंटवारा होना कोई बड़ी बा नहीं है। आज बंटवारा किस-किस वस्तु को लेकर नहीं होता। समझदारी इसी में है कि पिता और भाई छोटी मोटी मनमुटाव के साथ-साथ आपसी सहमति से जीना सीख लें। परिवार में किसी भी तरह…

दिव्यांशी शर्मा
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