क्या न्यूज चैनलों के स्टिंग से बेहतर है 'सत्यमेव जयते'

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सत्यमेव जयते! बड़े अरसे के बाद टीवी पर कुछ अच्छा देखने को मिल रहा है। इससे पहले बहुत से टीवी चैनलों ने समाज और सामाजिक हित के लिए कई रियलिटी शो पेश किए। इससे पहले स्टार पर किरण की 'आप की कचहरी' महिलाओं को न्याय दिला रही थी। कुछ प्रभाव छोड़ा भी लेकिन पूरी तरह से कामयाबी नहीं मिल सकी।
अब अमीर के शो 'सत्यमेव जयते' ने कन्या 'भ्रूण हत्या' जैसे कोढ़ के खिलाफ आवाज उठाई है जो कि उनका सराहनीय कदम है। उनके लिए उनको बधाई हो। लेकिन क्या 'सत्यमेव जयते' इस 5 हजार किलोमीटर की दूरी की मार करने वाली मिशाइल जो कि भारत की मर्दाना ताकत को दर्शा रही है उस देश में ऐसे कोढ़(कन्या भ्रुण हत्या) को खत्म कर पाएगा। इस मिशाइल से भारत सुपर पावर हो गया है लेकिन अमीर के शो में जो आंकड़े दिखाए गए उनसे नहीं लगता कि ये सुपर पावर देश है बल्कि लगता है सुपर किलर है।
जिस देश में ऐसे पाप कानून के आगे होते है तो फिर ऐसे पाप के लिए इस देश में क्यों ऐसी 5 किलोमीटर दूरी की मार करने वाली मिशाइल नहीं बनाई जा रही है। क्या भारत के पास इसके लिए कोई ऐसा दिमाग या वैज्ञानिक नहीं है जो स्त्री ताकत को दर्शा दे? जो कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगा दे।
बात अमीर के शो कि है इस लिए अगर सरकार और कानून को कोसने लग गया तो मुंह से गाली भी निकल सकती है इसी लिए इसे यहीं विराम देता हूं। सवाल ये कि क्या अमीर का शो 'सत्यमेव जयते' लोगों में वो चेतना फैला पाऐगा जिसे शायद भारतीय मीडिया नहीं पंहुचा सका हो? लोकतन्त्र का चैथा स्तंभ मीडिया जिसने अथक प्रयास किए है ऐसी भयाभय समस्याओं पर रोक लगाने के लिए। परन्तु आज तक ऐसा नहीं हो पाया जैसा अमीर करना चाहते है।
भारतीय मीडिया ने कई स्टिंग आपरेशन के जरिए बहुत से मामले सामने लाने में कामयाबी पाई है। कई स्टिंग आपरेशन का जिक्र करूंगा तो शायद आप भी मेरा लेख पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाऐंगे जैसा कि जब भी कोई ऐसी समस्याओं पर बात कहता है या लम्बा भाषण देता तो हो जाते है।
'सत्यमेव जयते' में सहारा समय के दो पत्रकार मीना शर्मा और श्रीपाल शक्तावत का जिक्र होता है। उन्होंने करीबन 7 साल पहले एक स्टिंग आपरेशन किया था। उस स्टिंग में जो आंकड़े सामने आऐ वो वाक्य दिल दहला देने वाले थे। डा. पैसो की खातिर लड़कियों की हत्या खोक में करने को तैयार थे। जिनकी करतूत इन दो जाबाज पत्रकारों ने खुफिया कैमरों में कैद कर ली। 13 हजार किलोमीटर का सफर तय करके भारत के 40 शहरों में 140 डाक्टरों पर किया गया ये स्टिंग आपरेशन सहारा समय पर दिखाया गया। जान को जोखिम में डाल कर किया गया ये स्टिंग आपरेशन क्या कन्या भ्रुण हत्या के गैर कानूनी सिलसिले को रोक पाया। इस स्टिंग आपरेशन को लेकर इन 40 शहरों में ही नहीं अपितु पेरे देश में हल्ला मच गया। लोगों को लगने लगा कि ये बहुत बड़ा पाप है लेकिन किसी ने ये नहीं सोचा कि उन डाक्टरों का क्या किया जाए जो ये जल्लाद का काम करते है, उन लोगों का क्या किया जाए जो बेटे की चाह रखते है, उस समाज का क्या किया जाए जो अपनी आंखों के सामने होते देखते है और एक बार भावुक होकर आंखों से भावभिनी श्रृद्धांजली देते हैं?
आज भी वे डाक्टर अपना धंधा उसी तरह चला रहे है। किसी भी डा. का लाइसेंस तक रद्द नहीं किया गया। सरकार ने तो उनका प्रमोशन तक कर दिया। किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई और दोनों पत्रकार आज भी 40 शहरों की अदालतों में तारीक पर तारीक भुगत रहे है।
ऐसे में क्या 'सत्यमेव जयते' आप बीती दिखा कर इस कन्या के कत्लेआम को रोक पाऐगा जो कि इससे कई गुणा बेहतर भारतीय न्यूज चैनल भी दिखा कर नहीं कर पाए। बहुत से चैनलों ने मुहिम छेड़ी, स्टिंग किए, खबरे चलाई, आप बीती भी दिखाई लेकिन जब कानून बनाना उनके हाथ में नहीं है, लागू करना उनके हाथ में नहीं है तो कैसे कर पाते? जो लोग ये पाप प्रत्यक्ष और स्टिंग यानी कैसे करते है ये सब टीवी पर देख कर भी नहीं माने वो क्या अमीर के आप बीती शॉ 'सत्यमेव जयते' से मान जाऐंगे? ये सब रोकने के लिए हम सब को मिल कर अमीर का और भारतीय मीडिया का साथ देना होगा जो ऐसे कत्लेआम का पर्दाफास करके आप, हम और पूरे देश को दिखाते है।
अब रही बात उन पेशी भुगतने वाले पत्रकार मीना शर्मा और श्रीपाल शक्तावत की तो उनके लिए अमीर ने राजस्थान सरकार को चिठी डाल दी है कि फास्ट ट्रेक अदालत बनाई जाए। वैसे भी सुनने में आया है कि सरकार ने अमीर की चिठी को पसंद किया है और उन पर साकारात्मक रूप भी अपनाने लगी है।
(यह लेख कई मीडिया साईट पर प्रकाशित हुआ है ..)

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दिव्यांशी शर्मा

मेरे बारे में जान कर क्या करोंगे। लिखने का कोई शोक नहीं। जब लिखने का मन करता है तो बस बकवास के इलावा कोई दुसरी चीज दिखती ही नहीं है। किसी को मेरी बकवास अच्छी लगती है किसी को नहीं। नहीं में वे लोग है जो जिंदगी से डरतें है और बकवास नहीं करते। और मेरे बारे में क्या लिखू।

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