एक लड़की

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एक लड़की जो लगती थी अनजानी सी कभी,
वही मुकद्दर से तकदीर मेरे पाक रातों
की,फुलों सी हंसती है, वो गाती है कोयल सी,
चांद से प्यारी है वो, सूरत की है भोली,
जो मैं न करता उससे प्यार, तो बोलो क्या करता,...
... अब कर लिया है प्यार, तो हालात फिर वहीं है,
बस मैं अकेला हूं, पास मेरे वो नहीं है।
बस मैं... अकेला हूं, पास मेरे वो ...नहीं है..........

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दिव्यांशी शर्मा

मेरे बारे में जान कर क्या करोंगे। लिखने का कोई शोक नहीं। जब लिखने का मन करता है तो बस बकवास के इलावा कोई दुसरी चीज दिखती ही नहीं है। किसी को मेरी बकवास अच्छी लगती है किसी को नहीं। नहीं में वे लोग है जो जिंदगी से डरतें है और बकवास नहीं करते। और मेरे बारे में क्या लिखू।

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