आखिर कब तक अनशन का सहारा?

अनशन! अनशन! अनशन! बाबा राम देव और अन्ना हजारे ने करीब 3-3 अनशन अब तक कर दिए है लेकिन किसी का काई नतीजा सामने नहीं आया है। अब देश की जनता अनशन से उबने लगी है। कुछ लोग तो अनशन के बहाने दिल्ली घूमने आते है। एक बात है ये अनशन अब शायद आईपीएल की तर्ज पर होने लगा है। हर साल। कभी बाबा की टीम मैच खेलने को कहती है तो कभी अन्ना की टीम। इसमें आईपीएल की तरह विदेशी खिलाड़ी भी है जो मूलतः इटली के है।
खैर 4 जून 2011 को बाबा के द्वारा किए गए आंदोलन को कौन भूल सकता है। वह अनशन भ्रष्टाचार विरोद्धी नारों से इतना मशहूर नहीं हुआ होगा जितना बाबा के भागने के तरीके से हुआ। सच में चारों तरफ यहीं बात हुई। वैसे ऐसी बात नहीं है कि बाबा को समर्थन नहीं मिला। लेकिन वो सब आंदोलन से पहले की बात थी। उसके बाद हर किसी के जुबान पर महिला वस्त्र धारन बाबा ही था। 3 जून का अनशन किसी के लिए नया नहीं था। सिर्फ मीडिया को छोड़ कर किसी भी व्यक्ति के मुंह पर इस अनशन का जिक्र कुछ खास सुनने को नहीं मिला। मीडया ने खूब आईपीएल की तरहा लाईव दिखाया। खैर अन्ना का अगस्त आंदोलन और बाबा का गठबंधन वाला ये एक दिवसीय मैच 47 डिग्री के तापमान में भी गर्मी पैदा नहीं कर पाया। वैसे भी अनशन सिर्फ वहीं मुद्दों को लेकर चल रहा जो हर वर्ष अनशन में उठाए जाते है।
रामदेव और अन्ना आईपीएल की तर्ज पर जब ये आंदोलन चलना चाहते है तो फिर मुद्दो में परिवर्तन क्यों नहीं करती जैसा आईपीएल में हर बार कुछ न कुछ नया करने मिलता है। क्या देश सिर्फ एक ही मुद्दा रह गया है। फिर क्यों अमीर खान सत्यमेव जयते में भु्रण हत्या और खाप जैसे मुद्दे उठाते है। क्या बाबा और अन्ना को अमीर का साथ चाहिए। या फिर अमीर का ही अपने प्रोग्राम में भ्रष्टाचार को मुछ्दा बना लेना चाहिए। लोग अब आंदोलनों और अनशन से ऊब गए है।
यदि मिस्त्र जैसा देश में लोग आर-पर की लड़ाई लड़ सकते है तो भारत में क्यों नही। क्या भारत के पास ऐसी एकता नहीं या फिर भारत में लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलना नहीं चाहते। बस बाबा और अन्ना के लिए यू हीं लोग इकठ्ठे हो जाते है बस भीड़ देखने के लिए। जब हमारी आत्मा में ही भ्रष्टाचार बसा हुआ है तो क्या बाबा और क्या अन्ना। मैं खुद अपने आप को भ्रष्ट मानता हूं। किसी से घूस ली नहीं तो कभी दी होगी। यानी भ्रष्टाचार फैलाने में मेरा भी हाथ है। वैसे भी कहवत है अपराध करने वाले से अपराध सहने वाला बड़ा पापी होता है। हमें खुद को भ्रष्टाचार के दायरे से निकलना होगा फिर एक होकर मिस्त्र जैसी क्रांति लाने की जरूरत है।
अन्ना और बाबा को अब अपने अनशन में कुछ नया करना होगा। हर एक जैसे नारे सुन-सुन कर लोग पक गए है। वैसे भी दिल्ली में लोगों को क्यों इस तपती गर्मी के मौसम में खोखले नारों के लिए बुलाया जाए जिसका सरकार पर कोई असर नहीं पड़ता है। बाबा और अन्ना को ये सब समझना होगा और सौ तोड़ का एक तोड़ निकलना होगा तब जाकर किसी आंदोलन को सफल बना सकोगे। नहीं इस बार के आंदोलन में जो पहुंचे है वो अगली बार गिने चुने ही होंगे।
वैसे सुनने में आया है कि बाबा का साथ देने के लिए पूनम पांडे ने भी समर्थन दे दिया है। वैसे भी आईपीएल की तर्ज पर अन्ना और बाबा को तड़का लगाने के लिए शायद काफी होगा जिससे लोग काफी अधिक संख्या में आ सकते है और आंदोलन के लिए जनसैलाब इकठ्ठा हो सकता है। वैसे भी बाबा और अन्ना जी अगर अनशन से ही काला धन आता तो देश की आधी जनता साल में आधा साल अनशन ही करती है। कब का आ गया होता। खाने वाले तो वैसे भी खा-खा कर मोटे हो गए है सरकार सोचती है एक या दो दिन नहीं खाऐंगे तो चर्बी कम हो जाएगी क्योंकि खाने के लिए (सरकार) हम है।

दिव्यांशी शर्मा

मेरे बारे में जान कर क्या करोंगे। लिखने का कोई शोक नहीं। जब लिखने का मन करता है तो बस बकवास के इलावा कोई दुसरी चीज दिखती ही नहीं है। किसी को मेरी बकवास अच्छी लगती है किसी को नहीं। नहीं में वे लोग है जो जिंदगी से डरतें है और बकवास नहीं करते। और मेरे बारे में क्या लिखू।

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