हरियाणा में जाट समुदाय सरकारी नौकरियों को लेकर पिछले 17 दिनों से पटरियों पर है। पटरियों पर बैठे जाटों की वजह से हरियाणा के ही नहीं वरन् देश के कई महत्वपूर्ण रेलमार्ग भी अवरूद्ध हुए हैं। इसके अलावा भी जाटों का बाहुल्य इलाकों में आंदोलन का व्यापक असर हुआ है। इससे यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है- यात्री जगह-जगह रूके पड़े हैं और वहां से निकलने के प्रयास में इधर-उधर भटकते देखे जा रहे हैं। एक मोटे अंदाजे के मुताबिक राज्य को रेल सेवा ठप रहने से हर रोज 5 से 10 करोड़ रूपए का नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा असर प्रदेश के पर्यटन और उद्योग जगत पर पड़ा है। ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार बातचीत में उलझाए रखकर आरक्षण की मांग को फिलहाल लटकाए रखने के फैर में दिख रही है। लेकिन सरकार को इस बात का अंदाजा अभी भी नही है कि जितना घाटा सरकार को रेल से हो रहा है इतना शायद जाटों की मांग को मानने से न हो। जाटों की बात सही भी है कि जब अन्य वर्ग के लोगों को आरक्षण मिल रहा है तो उन्हें क्यों नहीं? एक बात और भी है जाटों के इस आंदोलन ने पूरे राज्य की रेल व्यवस्था को तहस-नहस करके रख दिया है। आरक्षण देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे एक प्रदर्शनकारी की मौत होने से अगले दिनों में यह आंदोलन और तेज होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। एक जाट नेता ने चेतावनी दी है कि वे गुरुवार को एक बैठक आयोजित करेंगे और भविष्य की कार्ययोजना तय करेंगे। हरियाणा में करीब 15 स्थानों पर रेल यातायात बाधित कर रहे जाट समुदाय के प्रदर्शनकारी अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत जाट समुदाय को आरक्षण दिए जाने की मांग कर रहे हैं। जाट बहुलता वाले हिसार, भिवानी और जींद जिलों में यात्रियों को पिछले दो सप्ताह से काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। हरियाणा से गुजरने वाली पंजाब के दक्षिण पश्चिमी जिलों की रेलगाड़ियां भी संचालित नहीं हो पा रही हैं। जाट नेताओं ने धमकी दी है कि यदि 25 मार्च तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह व्यस्त रेलमार्ग दिल्ली-अम्बाला-अमृतसर को भी बाधित करेंगे। उन्होंने कहा है कि 28 मार्च तक यदि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो वह पूरे हरियाणा में रेल और सड़क यातायात बाधित करेंगे। ऐसे में कोई भी कदम हरियाणा सरकार को पूरा सोच समझा कर रखना होगा और इस बात को भी ध्यान रखना होगा कि विपक्ष ने भी जाटों को खुलकर समर्थन दे दिया है। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक रंजीव दलाल भी बोल चुके है यदि रेलमार्गों से जाट प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सरकार हमें आदेश दे तो हम उन्हें हटाने के लिए तैयार हैं। ऐसे में डर है कि कही पूरे देश के जाट समुदाय के लोग एक जुट हो गए और दूसरी जातियों का भी समर्थन मिल गया तो सरकार और जाटों के बीच अराजकता फैलना तय है। खैर जो भी जिनके पास गाड़ी है वो आराम से सफर कर सकते है और जिनके पास रुपऐ है वो बसों में और जिनके पास पैसे है वो रेल का इंतजार कर सकते है। ऐसे में यात्रियों को हो रही परेशानी के बावजूद हरियाणा सरकार जाट प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है।