भारत का सभ्य समाज और दर्शक मीडिया
पता नहीं क्यों यह घटना बार-बार सोचने पर मजबूर कर रही है कि एक या दो नहीं बल्कि पूरे 40 लोग एक साथ कुसंगति और कुविचार से कैसे प्रेरित हो सकते है। ऐसी क्या खराबी है हमारे लोकतंत्र में जो इस तरह के कुकृत्यों वाली प्रवित्तियां समाज में इतनी तेजी से फैल …