Showing posts from July, 2012

भारत का सभ्य समाज और दर्शक मीडिया

पता नहीं क्यों यह घटना बार-बार सोचने पर मजबूर कर रही है कि एक या दो नहीं बल्कि पूरे 40 लोग एक साथ कुसंगति और कुविचार से कैसे प्रेरित हो सकते है। ऐसी क्या खराबी है हमारे लोकतंत्र में जो इस तरह के कुकृत्यों वाली प्रवित्तियां समाज में इतनी तेजी से फैल …

दिव्यांशी शर्मा
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